महिलाओं को बिना ब्याज के मिल रहा है 5 लाख रुपये तक का लोन, ये होंगी शर्तें

मोदी सरकार की लखपति दीदी योजना ऐसी स्कीम है जिसके तहत महिलाओं को बिना ब्याज के लोन दिया जाता है. पूरी तरह से ब्याज मुक्त यह लोन एक लाख रुपये से लेकर पांच लाख रुपये तक का हो सकता है. सरकार की कोशिश है कि महिलाओं के बीच आर्थिक सशक्तीकरण और वित्तीय आजादी पैदा व स्थापित की जाए. बस इस योजना का लाभ लेने के लिए एक ही शर्त है, वह यह है कि यह लोन केवल उन्हीं महिलाओं को मिलेगा जो सेल्फ हेल्प ग्रुप (SHG) की सदस्य होंगी. पीएम मोदी ने पिछले साल लाल किले की प्रचीर से और वित्त मंत्री निर्माल सीतारमण ने अंतरिम बजट 2024 पेश करते हुए लखपति दीदी योजना का जिक्र किया. हाल ही में एक बार फिर प्रधानमंत्री ने इस स्कीम का जिक्र अपने भाषण में किया.मोदी सरकार की लखपति दीदी योजना एक ऐसी योजना है जिसके तहत महिलाओं को बिना ब्याज के लोन दिया जाता है। पूरी तरह से ब्याज मुक्त यह लोन 1 लाख रुपये से लेकर 5 लाख रुपये तक हो सकता है. सरकार महिलाओं में आर्थिक सशक्तिकरण और वित्तीय स्वतंत्रता पैदा करने और स्थापित करने का प्रयास कर रही है। इस योजना का लाभ उठाने के लिए केवल एक ही शर्त है, वह यह है कि यह ऋण केवल उन्हीं महिलाओं को मिलेगा जो स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) की सदस्य हैं।

पिछले साल इस योजना के तहत बेनिफिट लेने वाली महिलाओं की संख्या का टारगेट 2 करोड़ रखा गया था लेकिन इस साल अंतरिम बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने यह संख्या 2 करोड़ से बढ़ाकर 3 करोड़ करने का ऐलान किया है. चूंकि यहां महिला की या महिला के चलते परिवार की कुल आय लाख रुपये तक करने की कोशिश है, इसलिए इसे लखपति दीदी योजना का नाम दिया गया.

स्वयं सहायता समूह क्या हैं?

सेल्फ हेल्प ग्रुप यानी स्वंय सहायता समूह क्या हैं- ऐसे छोटे समूह जहां मुख्य रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाली औऱतें होती हैं, पैसे बचाने और एक-दूसरे को लोन देने के लिए ये एक साथ आती हैं. दिसंबर 2023 में जारी दीनदयाल अंत्योदय योजना-राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (डीएवाई-एनआरएलएम) के डाटा के हवाले से डाउन टू अर्थ की र रिपोर्ट बताती है कि लगभग 100 मिलियन महिला सदस्यों के साथ भारत में 90 लाख एसएचजी हैं. 1970 के दशक में कुछ ग्रामीण इलाकों में ये शुरू हुआ. सबसे ज्यादा चर्चा में रहा गुजरात में स्व-रोजगार महिला संघ (एसईडब्ल्यूए).

लखपति दीदी योजना के तहत सालाना एक लाख आय की कैलकुलेशन दरअसल कम से कम चार कृषि मौसमों या फिर व्यापार चक्रों के लिए की जाती है. और, जिनकी औसत मासिक आय दस हजार रुपये से अधिक हो, यह कैलकुलेशन आय के टिकाऊ होने के चलते रखी गई है. सरकार की रूरल मिनिस्ट्री की ओर से इस स्कीम को लागू किया जाता है. बिजनस ट्रेनिंग देना, सामान बाजार तक पहुंचाना, जरूरी कौशल और ट्रेनिंग देना सब इस स्कीम के तहत संभव है.

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