स्पेस के मामले में बात करें तो अमेरिका इसमें सबसे आगे माना जाता है, चीन भी लगातार अपने अंतरिक्ष अभियानों को ताकतवर बना रहा है. इसीलिए अमेरिकी स्पेस एजेंसी के चीफ का यह बयान बेहद हैरान करने वाला माना जा रहा है.
दुनिया के कई मोर्चों पर जंग के हालात बन रहे हैं. इस बीच चीन ने स्पेस में एक ऐसी जंग छेड़ने की तैयारी कर ली है, जिसका प्रभाव दुनिया के सभी बड़े देशों पर पड़ेगा. इसके लिए ड्रैगन ने खतरनाक प्लान तैयार कर लिया है. वह जल्द ही चांद को जंग का मैदान बनाने के लिए तैयार है.ये दावा खुद अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी NASA चीफ ने किया है.
दरअसल चीन चांद के उस हिस्से में जाने की प्लानिंग कर रहा है, जहां आज तक कोई नहीं पहुंचा. नासा चीफ के मुताबिक यह चंद्रमा का वह इलाका है, जहां हर वक्त अंधेरा रहता है. नासा के वैज्ञानिक मानते हैं कि यही वह इलाका जिस पर चांद का खजाना जमा है. हालांकि चीन की मंशा सिर्फ खजाना हासिल करना ही नहीं है, वह इससे भी ज्यादा कुछ चाहता है. नासा चीफ ने इस पर भी खुलकर अपनी बात रखी है.
चांद पर मिलिट्री बेस बनाना चाहता है चीन
चीन ने जो प्लानिंग की है, उससे अमेरिका खुद डरा हुआ है. इसका उदाहरण नासा चीफ बिल नेल्सन का वो बयान है, जिसमें उन्होंने ये दावा किया है कि चीन चांद पर मिलिट्री बेस बनाना चाहता है. नेल्सन के मुताबिक सिविलियन एक्टिविटी की आड़ में चीन स्पेस में अपने मिलिट्री प्रोग्राम को छिपाने की कोशिश में जुटा है. उन्होंने दावा किया है कि अगर चीन ने चांद पर पहले बेस बना लिया तो वह चीन के कुछ हिस्सों पर अपना दावा कर सकता है. नेल्सन ने ये भी कहा कि चीन का इरादा चांद पर सिर्फ स्पेस प्रोग्राम तक सीमित रहना नहीं है.
अंतरिक्ष में कैसा होगा चीन का रवैया?
अमेरिका ने ये भी अंदेशा जताया है कि स्पेस में चीन का रवैया ठीक नहीं रहने वाला. नासा चीफ नेल्सन ने दावा किया है कि दक्षिण चीन सागर में चीन का जिस तरह का रवैया है, उससे साफ हो जाता है कि स्पेस में भी चीन का रवैया ठीक नहीं रहने वाला है. चीन ये तो कहता है कि उसकी गतिविधियां वैज्ञानिक हैं, लेकिन उसके इरादे कुछ और लगते हैं. चीन ने पहले भी कहा था कि चांद पर डिज्नीलैंड जितना बेस बनाना चाहता है. उधर अमेरिका भी आर्टेमिस यान के जरिए चांद पर जाने की तैयारी है, ऐसे में भविष्य में अमेरिका और चीन के बीच स्पेस वॉर के हालात बन सकते हैं.
अमेरिका का दावा हैरान करने वाला
स्पेस के मामले में बात करें तो अमेरिका इसमें सबसे आगे माना जाता है, चीन भी लगातार अपने अंतरिक्ष अभियानों को ताकतवर बना रहा है. ऐसे में यदि अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा के प्रमुख का यह दावा बेहद चौंकाने वाला है. नेल्सन ने कहा है कि वो अपने चांद लैंडर को चांद के पिछले हिस्से पर उतारने वाले हैं. नासा चीफ ने ये भी ऐलान किया है कि इस हिस्से पर अमेरिका के जाने की कोई योजना नहीं है.
चांद पर क्या है खजाना?
चांद के उत्तरी ध्रुव पर अब तक कई रिसर्च हो चुके हैं, लेकिन चांद का असली खजाना दक्षिणी ध्रुव पर माना जाता है. नासा चीफ का मानना है कि चीन की नजर इसी खजाने पर है. दरअसल माना जाता है कि दक्षिणी ध्रुव पर हीलियम का भंडार हो सकता है, इसका इस्तेमाल न्यूक्लियर एनर्जी के लिए किया जा सकता है, इसमें रेडियोएक्टिव नहीं होता इसलिए वैस्ट मैटेरियल का कोई रिस्क नहीं होता. इसके अलावा चांद पर स्कैंडियम और यिट्रियम समेत रेयर अर्थ मेटल्स भी हैं. भारत ने यहां पर पानी होने का भी पता लगाया है, इसके बाद से कई देशों की इस पर नजर है.